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रहस्यमाई चश्मा भाग - 33




समिति के सभी सदस्य जब करो में बैठ गए मेहुल कुमार की कार आगे आगे एव शाश्वत शंकर कि कार पीछे पीछे कारे जब तक आंखों से ओझल नही हो गई तब तक मंगलम चौधरी खड़े होकर एकटक देखते रहे ।मंगलम चौधरी को इस बात का परम संतोष था कि उन्होंने अपने जीवन का एक मात्र प्रेम जो जीवन संगिनी नही बन सकी और उनके ही प्रेम कि धरोहर के लिए अपने ही जीवन को जीते जी नर्क बना लिया सारिका के लिए कुछ तो कर सका मंगलम चौधरी को आत्मग्लानि एव अपराध बोध का बोझ खोखला किये जा रहा था।
मंगलम चौधरी जब भी एकांत में रहते शुभा के ख्यालों यादों संस्मरणों में खो जाते वैसे तो वह उसे भुला चुके थे लेकिन जबसे उनको यह स्प्ष्ट हो गया कि सुयश उनका और सारिका का ही बेटा है तब से उन्हें अपने जीवन के अति महत्वपूर्ण पलो की सहभागी सारिका कि याद पल प्रहर आती मंगलम चौधरी ने डॉ रणदीप झा से भी अपनी परेशानी पर विचार विमर्श किया चौधरी साहब को लगा जैसे उन्हें कोई बीमारी तो शारीरीक कमजोरी के कारण नही हो गयी है डॉ रणदीप झा ने चौधरीं साहब को पूरी तरह स्वस्थ एव बीमारी विहीन दुरुस्त बताया ।

चौधरी साहब को कुछ इत्मीनान तो अवश्य हुआ किंतु उन्हें उनकी सारिका की याद का साथ नही छूटता आलम यह हो चुका था कि चौधरी साहब जब भी नींद में होते तब वह सारिका के ही सुंदर यादों के स्मरण के सपनो में सो जाते ।मंगलम चौधरी को आज भी वह दिन उनके मानस पटल पर ऐसे घूम रहा था जैसे माँ सामने खड़ी हो और कह रही हो मंगलम अब तुझ्रे मा बाप कि सेवा के लिए नही अपने लिए अपने पसंद की और हम सबकी पसंद कि सुंदर सलोनी और सांस्कारिक वधु ले आओ मंगलम बोले माँ अपना बहुमूल्य आशीर्वाद दो शायद आप सबकी पसंद की बहू मील जाए माँ का आशीर्वाद लेकर मंगलम चौधरी शेरपुर के कॉलेज में स्नातक कि उपाधि लेने पहुंचे,,,,

 ठीक उसी समय शुभा भी कालेज में दाखिल हुयी जो और जाने किधर अदृश्य हो गयी मंगलम चौधरी को जाने क्यो ऐसा लगा कि माँ के बहुमूल्य आशीर्वाद कि बहु वही है जो बिजली कि चमक की तरह चमकी और जाने कहा गायब हो गयी मंगलम चौधरी सीधे प्राचार्य डेनिस थॉमस के कक्ष में दाखिल हुये प्राचार्य मंगलम चौधरी को बहुत आदर सम्मान देते क्योकि मंगलम चौधरी ने अपने मेहनत से कॉलेज को बहुत सम्मान दिलाया था मंगलम के पहुचते डेनिश थॉमस ने बड़े आदर के साथ कहा मंगलम बैठो मैं तुम्हारी शैक्षिक प्रमाण पत्र उपाधि प्रदान करता हूँ और उन्होंने अपने कक्ष कि घण्टी बजाई तुरंत कालेज का चपरासी रहमान दौड़ता हुआ आया डेनिस थॉमस ने उसे आदेश दिया और कि मंगलम कि योग्यता सम्बंधित सभी प्रमाण पत्र लेकर कार्यालय अधीक्षक तुषार महतो से लेकर आने के लिये मेरा आदेश सुनाओ रहमान बोला यस सर और भागते हुए कार्यालय पहुंचा और तुषार महतो से बोला सर प्रिंसिपल साहब ने मंगलम चौधरी के शैक्षिक प्रमाण पत्रों के साथ आपको अपने कक्ष में बुलाया है,,,,

 तुषार महतो को पहले से मालूम था कि मंगलम चौधरी को कॉलेज द्वारा स्नातक की उपाधि प्रदान की जाएगी उन्होंने सभी आवश्यक प्रक्रियाओं को पूर्ण करके पहले से ही रखा था तुषार महतो ने रहमान से कहा मैं तुरंत पहुंच रहा हूँ प्रिंसिपल साहब के कार्यालय में और मंगलम चौधरी से सम्बंधित शैक्षिक योग्यता सम्बंधित सभी आवश्यक प्रपत्रों को पूर्ण करते हुए उनके सारे प्रमाण पत्र अंक पत्र कालेज कि सुंदर फाइल में बड़े सुंदर ढंग से सजा कर रखा था तुषार महतो के पहुंचते ही प्रिंसिपल डेनिस थॉमस बोले तुषार जी आपने सभी प्रक्रियाओं को पूर्ण कर लिया है और स्वंय जांच कर लिया है,,,,

तुषार बोले यस सर डेनिस थॉमस बोले फिर भी मैं चाहूंगा आप एक बार पुनः मेरे सामने सारे प्रमाण पत्रों की जांच करके पुनः आश्वस्त हो जाय और प्राचार्य महोदय ने पुनः घण्टी बजायी तुरंत भागे भागे रहमान आया प्रिंसिपल डेनिस थॉमस ने रहमान को आदेश देते हुए कहा कि प्रोफेसर इकबाल को बोलो कि वह शुभा को स्वंय लेकर आये जिसने स्नातक प्रथम वर्ष में सबसे अब्बल स्थान हासिल किया है,,,,


रहमान पुनः प्रोफेसर इक़बाल के कक्ष में दाखिल हुआ और बोला सर आपको शुभा के साथ प्रिंसिपल साहब ने अपने कक्ष में बुलाया है प्रोफेसर इकबाल वाइस प्रिंसिपल भी थे यह उन्ही का विचार भी था की एक कुशाग्र मेधावी को उसकी योग्यता के साक्ष प्रमाणपत्र किसी योग्य मेधावी के ही हाथों देना उसकी लगन कड़ी मेहनत का उचित सम्मान होगा उन्होंने ही शुभा को पहले ही बुला लिया था शुभा उनके ही कक्ष में बैठी थी,,,

 प्रोफेसर इकबाल ने शुभा को आदेशात्मक लहजे में कहा चलो बेटी शुभा प्रिंसिपल साहब का बुलावा आ गया और आगे आगे प्रोफेसर इक़बाल पीछे पीछे शुभा दोनों ही प्रिंसीपल डेनिस थॉमस के कक्ष में दाखिल हुए उनके दाखिल होते ही प्रिंसीपल डेनिस थॉमस मंगलम की तरफ मुखातिब होते हुये बोले मंगलम तुम्हे कालेज कि यही बेटी सारे प्रमाण पत्र कॉलेज की तरफ से प्रदान करेगी क्योकि यह कालेज की वर्तमान अभिमान है,,,,

 जिसने तुम्हारा स्थान लिया है इसका नाम शुभा है और शहर के सबसे बड़े सम्मानित आम जन के शुभ चिंतक मशीहा यशोवर्धन एव सुलोचना कि दुलारी लाडली बेटी तो है ही अब कालेज कि भी मंगलम तो विस्मृत हतप्रभ आश्चर्य से शुभा को ही देख रहा था जो कुछ ही देर उसके सामने से बिजली कि चमक की तरह चमकी और गायब हो गयी और अब चाँद की तरह हाजिर हो गयी।


मंगलम चौधरी को लगा दिन में ही खुले नेत्रों से ही कोई सुंदर सपना देख रहे है जिसकी कल्पना उन्होंने बचपन से कर रखी थी तभी प्रिंसिपल डेनिस थॉमस ने मंगलम को टोकते हुए कुछ मनोरंजक अंदाज़ में बोले #आर यू सर प्राइज्ड इट इज व्हाई यू नेवर सॉ बीयूटीफुल गर्ल लाईक शुभा# मंगलम जैसे झेंप गए और उन्होंने जबाब दिया #ओ नो सर रियली आई एम सर प्राईज़ड # प्रोफेसर इकबाल ने भी मौके की नजाकत को भांप कर बोले #प्रिंसिपल साहब यकीनन शुभा कॉलेज की ऐसी होनहार स्टूडेंट है,,,,,

 जिसे कोई भी देखकर सोचने को विवश हो जाएगा # प्रिंसिपल डेनिस थॉमस ने प्रोफेसर इकबाल से कहा आप शुभा से मंगलम को इनके शैक्षिक प्रमाण पत्र को मंगलम के जीवन के सबसे खूबसूरत पल प्रहर को जीवंत करे जिसे मंगलम कभी भी भूल ना सके प्रिंसिपल का आदेश पाते ही प्रोफेसर इकबाल ने मंगलम चौधरी को ख़ूबहसुरत फूलों का माला पहनाकर सम्मानित किया और प्रिंसीपल डेनिस थॉमस ने मंगलम को कॉलेज की तरफ से स्मृति प्रतीक भेंट किया और शुभा ने मंगलम को उसके शैक्षिक प्रमाण पत्र उसके बाद कॉलेज के हाल में प्रिंसिपल के साथ सभी शिक्षकों की उपस्थिति में छोटी सी चाय पार्टी कि गयी जब सब कार्यक्रम कॉलेज की योजना के अनुसार सम्पन्न हो गया तब प्रिंसिपल डेनिस थॉमस बोले मिस्टर मंगलम अब आप अपने माता पिता कि इच्छा के अनुसार अपने जीवन भविष्य के लिए नई जीवन यात्रा शुरू करे,,,,,







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2 Comments

kashish

09-Sep-2023 08:10 AM

व्याकरण दृष्टिकोण से भी शब्द को सोच समझकर लिखे। जैसे कारे की जगह "कार" उचित लगता है। बाकी पूरा भाग बेमिसाल लिखा है।

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madhura

06-Sep-2023 05:14 PM

Very nice

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